✅ UDID Card Online Apply करने का आसान तरीका |

UDID Card Online Apply: भारत सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए विशिष्ट पहचान पत्र (यूडीआईडी) योजना की शुरुआत की है, जो उन्हें कई सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करती है। यह कार्ड न केवल दिव्यांग व्यक्तियों की पहचान करता है, बल्कि उनकी मेडिकल स्थिति और आवश्यक सेवाओं की जानकारी भी प्रदर्शित करता है। इस लेख में, हम यूडीआईडी कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया को समझेंगे और इससे जुड़े सभी विषयो पर चर्चा करेंगे।

UDID कार्ड क्या है?

UDID कार्ड, जिसे “Unique Disability ID Card” कहा जाता है, एक राष्ट्रीय पहचान पत्र है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बनाया गया है। इस कार्ड का उद्देश्य दिव्यांगजनों की पहचान को एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देना और उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ प्रदान करना है।

UDID कार्ड के लाभ
  • सरकारी योजनाओं का लाभ: यूडीआईडी कार्ड धारक केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
  • समान पहचान: यह कार्ड एकसमान पहचान पत्र की तरह कार्य करता है, जिससे हर राज्य में मान्यता प्राप्त होती है।
UDID कार्ड के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

भारत में कोई भी दिव्यांग व्यक्ति, जिसकी विकलांगता 40% या उससे अधिक है, यूडीआईडी कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है। यह विकलांगता शारीरिक, मानसिक, संवेदी, बौद्धिक या अन्य किसी प्रकार की हो सकती है।

विकलांगता की श्रेणियां
  • शारीरिक विकलांगता
  • मानसिक असंतुलन
  • संवेदी विकार
  • बौद्धिक अक्षमता
  • ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी आदि
UDID Card Online Apply करने की प्रक्रिया

चरण 1: यूडीआईडी पोर्टल पर पंजीकरण

सबसे पहले, आपको यूडीआईडी के आधिकारिक पोर्टल www.swavlambancard.gov.in पर जाना होगा।

  • वेबसाइट पर जाकर “नया पंजीकरण” विकल्प चुनें।
  • अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे नाम, पता, संपर्क विवरण आदि, दर्ज करें।
  • मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दर्ज करें।

चरण 2: विकलांगता संबंधित जानकारी दर्ज करें

अगले चरण में आपको अपनी विकलांगता से संबंधित सभी विवरण भरने होंगे, जैसे विकलांगता का प्रकार, प्रतिशत और विकलांगता प्रमाण पत्र की जानकारी।

चरण 3: आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें

आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन की हुई प्रतियां अपलोड करनी होती हैं। इनमें शामिल हैं:

  • विकलांगता प्रमाण पत्र
  • पहचान पत्र (आधार कार्ड)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • निवास प्रमाण पत्र (आधार कार्ड)

चरण 4: फॉर्म की समीक्षा और सबमिट करें

सभी जानकारी सही ढंग से भरने और दस्तावेज़ अपलोड करने के बाद, आवेदन की समीक्षा करें और सबमिट बटन पर क्लिक करें। सफलतापूर्वक सबमिट करने के बाद, आपको एक आवेदन संख्या प्राप्त होगी, जिसे भविष्य में आवेदन की स्थिति जानने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

आवेदन की स्थिति कैसे जांचें?

यूडीआईडी कार्ड आवेदन की स्थिति जानने के लिए आप यूडीआईडी पोर्टल पर जाकर “आवेदन की स्थिति” विकल्प चुन सकते हैं। आवेदन संख्या और अन्य आवश्यक जानकारी दर्ज कर आप अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं।

UIDI कार्ड प्राप्त करने का समय

आवेदन सबमिट करने के बाद, संबंधित अधिकारी आपके दस्तावेजों और जानकारी की जांच करेंगे। यदि आपका आवेदन स्वीकृत होता है, तो आपको यूडीआईडी कार्ड डाक के माध्यम से भेजा जाएगा या आप इसे पोर्टल से डाउनलोड भी कर सकते हैं। आमतौर पर, यूडीआईडी कार्ड प्राप्त करने में 15 से 30 दिन लगते हैं।

UDID Card Onlinle Apply के लिए आवश्यक दस्तावेज
  • विकलांगता प्रमाण पत्र: मान्यता प्राप्त अस्पताल या डॉक्टर द्वारा जारी किया गया।
  • आधार कार्ड: पहचान और निवास प्रमाण के लिए।
  • पासपोर्ट आकार की फोटो: आवेदन पत्र के लिए।
  • निवास प्रमाण पत्र: जैसे राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि।
विकलांगता (Disability) कितने प्रकार की होती है, और इसे मेडिकल भाषा क्या कहा जाता है ?

विकलांगता (Disability) कई प्रकार की होती है, और इसे मेडिकल भाषा में विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है। भारत में विकलांगता को “दिव्यांगता अधिकार अधिनियम, 2016” के तहत 21 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। यहां मेडिकल दृष्टिकोण से प्रमुख प्रकार की विकलांगताओं का विवरण दिया गया है:

1. दृष्टिहीनता (Blindness)

  • इसमें व्यक्ति की दृष्टि क्षमता पूरी तरह से खो जाती है, जिससे उन्हें चीजें देखने में असमर्थता होती है।

2. कम दृष्टि (Low Vision)

  • इसमें व्यक्ति की दृष्टि आंशिक रूप से प्रभावित होती है। चश्मे या किसी अन्य सहायक उपकरण से भी उनकी दृष्टि पूरी तरह से सामान्य नहीं होती।

3. बहरापन (Deafness)

  • इसमें व्यक्ति की सुनने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है। यह पूर्ण श्रवण हानि है, जिसमें व्यक्ति किसी भी ध्वनि को सुनने में असमर्थ होता है।

4. कम सुनाई देना (Hard of Hearing)

  • इसमें व्यक्ति आंशिक रूप से सुनने में सक्षम होता है, लेकिन सामान्य बातचीत को स्पष्ट रूप से सुनने में कठिनाई होती है।

5. मूकता (Speech Disability)

  • इसमें व्यक्ति बोलने में असमर्थ होता है या उसकी बोलने की क्षमता बहुत सीमित होती है, जिससे सामान्य रूप से बात करना संभव नहीं हो पाता।

6. मूढ़ता-बधिरता (Deaf-Blindness)

  • यह स्थिति तब होती है जब व्यक्ति बहरा और अंधा दोनों होता है। इसमें व्यक्ति की सुनने और देखने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

7. मस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy)

  • यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें मस्तिष्क की क्षति के कारण व्यक्ति की मांसपेशियों की गति और समन्वय पर असर पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की शारीरिक गतिशीलता सीमित हो जाती है।

8. मानसिक मंदता (Intellectual Disability)

  • यह एक प्रकार की विकलांगता है जिसमें व्यक्ति की सीखने, समझने और समस्या सुलझाने की क्षमता सीमित होती है। यह मानसिक विकास के बाधित होने के कारण होती है।

9. स्वायत्ततावाद (Autism Spectrum Disorder – ASD)

  • यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें व्यक्ति के सामाजिक, संचार और व्यवहारिक क्षमताओं में असामान्यताएं देखी जाती हैं।

10. अवसादजनित विकार (Mental Illness)

  • इसमें व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर होता है। उदाहरण के तौर पर, अवसाद, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि।

11. कुष्ठ रोग से उत्पन्न विकलांगता (Leprosy Cured Persons)

  • जिन लोगों को पहले कुष्ठ रोग था, और अब वह ठीक हो चुके हैं, लेकिन बीमारी के कारण उनके शरीर में स्थायी विकृति या शारीरिक विकलांगता रह जाती है।

12. बौनापन (Dwarfism)

  • इसमें व्यक्ति की शारीरिक ऊंचाई सामान्य से काफी कम होती है, जो उनके विकास में अवरोध के कारण होता है।

13. सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Disease)

  • यह एक आनुवांशिक रक्त विकार है जिसमें शरीर के लाल रक्त कण असामान्य आकार के होते हैं, जिससे शारीरिक कमजोरी और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

14. हीमोफीलिया (Hemophilia)

  • यह एक आनुवांशिक विकार है जिसमें खून जमने की प्रक्रिया धीमी या असामान्य होती है, जिससे चोट लगने पर खून बहने की अधिक संभावना होती है।

15. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)

  • यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मस्तिष्क और मेरुदंड (spinal cord) की कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे शारीरिक विकलांगता हो सकती है।

16. पार्किन्सन रोग (Parkinson’s Disease)

  • यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें व्यक्ति की गति और मांसपेशियों की गति पर प्रभाव पड़ता है। इसमें व्यक्ति को झटके (tremors) महसूस होते हैं और उसकी चाल धीमी हो जाती है।

17. थैलेसीमिया (Thalassemia)

  • यह एक आनुवांशिक रक्त विकार है जिसमें शरीर की रक्त कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं कर पातीं, जिससे एनीमिया जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं।

18. स्पाइन बिफिडा (Spina Bifida)

  • यह एक जन्मजात विकलांगता है जिसमें नवजात के स्पाइनल कॉलम का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं।

19. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy)

  • यह एक आनुवंशिक विकार है जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और उनका क्षरण होता है, जिससे शारीरिक विकलांगता हो जाती है।

20. दृष्टि-श्रवण विकलांगता (Multiple Disabilities)

  • इसमें व्यक्ति को एक से अधिक विकलांगता हो सकती है, जैसे दृष्टिहीनता और बहरापन साथ में होना।

21. दुर्लभ बीमारी जनित विकलांगता (Acid Attack Victims)

  • यह श्रेणी उन व्यक्तियों के लिए है जो एसिड हमले का शिकार हुए हैं और जिन्हें इस हमले के परिणामस्वरूप शारीरिक विकलांगता का सामना करना पड़ता है।

22. लोकोमोटर विकलांगता (Locomotor Disability)

लोकोमोटर विकलांगता (Locomotor Disability) का मतलब किसी व्यक्ति की शरीर के अंगों, खासकर हाथों या पैरों के हिलने-डुलने की क्षमता में कमी या पूर्ण असमर्थता से है। यह विकलांगता तब होती है जब किसी व्यक्ति के मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों या तंत्रिका तंत्र में कोई गड़बड़ी हो, जिससे उसकी गतिशीलता प्रभावित होती है।

लोकोमोटर विकलांगता के कारण व्यक्ति को चलने, उठने, बैठने या शारीरिक गतिविधियां करने में कठिनाई हो सकती है। यह विकलांगता जन्मजात हो सकती है या किसी दुर्घटना, चोट, बीमारी या अन्य कारणों से हो सकती है।

लोकोमोटर विकलांगता के प्रमुख कारण:

  1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण।
  2. पोलियो (Poliomyelitis): पोलियो वायरस से होने वाला संक्रमण, जिससे पैर या हाथ कमजोर हो जाते हैं।
  3. हड्डी टूटना (Fractures): हाथ, पैर या रीढ़ की हड्डी में चोट।
  4. सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy): मस्तिष्क की विकृति के कारण।
  5. स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal Cord Injury): रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से।
  6. एम्प्युटेशन (Amputation): दुर्घटना या बीमारी के कारण किसी अंग का कट जाना।
  7. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy): मांसपेशियों का कमजोर होना।
  8. लकवा (Paralysis): शरीर के किसी हिस्से का स्थायी या अस्थायी रूप से काम न करना।
निष्कर्ष

यूडीआईडी कार्ड दिव्यांगजनों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्रदान करता है और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद करता है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया सरल और सुविधाजनक है, जिसे आप अपने घर से ही पूरा कर सकते हैं। सही दस्तावेज़ और जानकारी के साथ आवेदन करने से यह सुनिश्चित होगा कि आपको सभी लाभ समय पर मिलें।

UDID Card Online Apply FAQs

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